Video

Monday, February 15, 2010

सूचना का अधिकार पर सरकार गंभीर नहीं


पटना बिहार का अधिकार मंच की संयोजिका परवीन अमानुल्लाह ने कहा कि सरकार सूचना का अधिकार पर गंभीर नहीं है। उन्होंने बताया कि कई मामलों में बगैर सूचना दिलवाये ही वाद समाप्ति का आदेश आयोग द्वारा दे दिया जाता है। लोक सूचना पदाधिकारी के इस आश्वासन पर कि वे सूचना भेज देंगे, आयोग द्वारा वाद समाप्त कर दिये जाने से लोक सूचना पदाधिकारी निर्भीक हो जाते हैं एवं वाद समाप्त होने के बाद वे सूचना नहीं देते। वह समय कभी नहीं आता जब वे सूचना दें। उन्होंने बताया कि मंच ने आयोग एवं सरकार से पूर्व में कई बार पत्राचार कर अधिनियिम की धारा-4 के प्रावधानों को स्वत: लागू कर वर्णित सूचनाओं को अक्टूबर-2005 तक सार्वजनिक करना था। लेकिन सरकार अथवा आयोग की इस ओर से इस पर कोई पहल नहीं की गई। उन्होंने मांग की कि जब तक धारा-4 का क्रियान्वयन पूर्णरूपेण नहीं करा दिया जाता तब तक नागरिकों को इसके अंतर्गत मांगी गई सूचनाएं मुफ्त उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने सरकार से इसके अलावा पिछले 3 माह में आयोग में जो वाद समाप्त कर दिये गए, उनकी जांच कर जनता को पूर्ण सूचना दिलवाने की मांग की।

नहीं मिल रही है जनता को दफ्तरों से सूचना

Feb 15/02/2010
पटना बिहार सूचना का अधिकार मंच ने रविवार को गांधी संग्रहालय में एक बैठक का आयोजन किया, जिसमें सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को विधिवत कैसे शुरू किया जाए इस पर चर्चा हुई। मंच की संयोजिका परवीन अमानुल्लाह ने बताया कि विभिन्न सरकारी कार्यालय एवं विभागों से जनता को सूचना नहीं मिल रही है। इस स्थिति को सरकार व्यापक ढंग से सुधारे। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की एक लंबी सूची है, जिसे बिहार सूचना का अधिकार मंच ने सरकार के हवाले की थी। सूचना के अधिकार का प्रयोग करने वालों को प्रताड़ित किया गया, मारा पीटा गया, अपराधिक मामले लगाए गए, लेकिन सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई आज तक नहीं की। उन्होंने बताया कि सूचना का अधिनियम 2005 के नियम में बिहार में जो संशोधन 2009 में किया गया है, वह सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की उद्देशिका का विरोधी है, अमानवीय है और हमारे संविधान के मौलिक अधिकार का हनन करता है। ऐसे संशोधन को वापस लिया जाए। बैठक में इसके अलावे कई ज्वलंत मुद्दे पर चर्चा हुई।